Shashank Chowdhury

Wednesday, September 01, 2004

जय

जय शब्द का विष्लेशण किया जाये तो ऐसा प्रतीत होता है कि किसीको परास्त करना ही जय है। मूल रुप से किसी भी व्यवधान को अतिक्रम करना जय है। जय एक व्यक्तिगत उपलब्धि है न कि किसी और की पराजय। और संजय संजय है क्यों की उन्होने धृतराष्ट्र को स्थान और काल के व्यवधान् को अतिक्रम करने मे सहायता की।

0 Comments:

Post a Comment

<< Home